जिफ के फाउंडर ने कहा, अगले साल अनूठे अंदाज में होगा आयोजन दुनिया से मिले प्रोत्साहन से आगे बढ़ा जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल

जिफ के फाउंडर ने कहा, अगले साल अनूठे अंदाज में होगा आयोजन दुनिया से मिले प्रोत्साहन से आगे बढ़ा जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल

जयपुर। कोविड की चुनौतियों के बीच, जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का चौदहवां संस्करण मंगलवार को 8 देशों की 22 फिल्मों की ऑफ लाइन स्क्रीनिंग के साथ सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कुल मिलाकर इस पांच दिवसीय फिल्म फेस्टिवल में 52 देशों की 279 फिल्में [ऑफ लाइन तथा ऑन लाइन स्क्रीनिंग] दिखाई गई। कोरोना की दहशत के बावजूद जिफ में 108 फिल्मों की ऑफलाइन स्क्रीनिंग हुई, जिसमें लगभग 70 फिल्मों के फिल्मकार, निर्माता और अभिनेताओं ने शिरकत की।

जिफ के फाउंडर - डायरेक्टर हनु रोज कोरोना काल में भी इस फेस्टिवल को दुनिया भर के फिल्मकारों से मिले प्रोत्साहन को लेकर अति उत्साहित हैं। हनु रोज ने बताया कि वे कोरोना काल में इसके आयोजन को लेकर आशंकित थे, लेकिन फिल्मकारों से मिले अमूल्य सुझावों और समर्थन के आधार पर उन्होंने पिछले साल यह आयोजन पूरी तरह ऑनलाइन करवाया और इस बार हाईब्रिड मोड [ऑन लाइन और ऑफ लाइन] पर करवाया। कोरोना के नियमों को ध्यान में रखते हुए समापन समारोह को रद्द कर उसे उद्घाटन समारोह के साथ ही, पुरस्कार वितरण भी उसी दिन कर दिया गया। ऐसा करके हमने पूरी दुनिया के सामने भारत की ‘शो मस्ट गो ऑन’ की जिजिविशा को बयां किया।

अगले साल होंगे जिफ के दो संस्करण
हनु रोज ने कहा कि इस बार समारोह में शिरकत करने आए देश - विदेश के फिल्मकारों और जो नहीं आ पाए, उनसे मिले सुझावों के आधार पर जिफ कमेटी ने अगले साल से इसके दो पृथक संस्करण - ऑफ लाइन और ऑन लाइन, आयोजित करने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि ऑन लाइन संस्करण, ऑफ लाइन संस्करण की तर्ज पर ही होगा, जिसमें वे सभी आयोजन होंगे, जो ऑफ लाइन होते हैं जैसे फिल्म मेकर्स और प्रोड्यूसर्स मीट, फिल्म मार्केट मीट, विभिन्न विषयों पर आधारित टॉक शोज़ और फिल्मों की स्क्रीनिंग तथा कुछ खास फिल्मों की स्क्रीनिंग के तुरन्त बाद उन पर चर्चाएं। ऐसा करने से जो फिल्मकार किसी वजह से उत्सव में शामिल नहीं हो पाएंगे, उन्हें घर बैठे ही वह सब कुछ देखने और समझने को मिलेगा, जो वे यहां आकर देख और समझ पाते।

फिल्मकारों से मिला पुरजोर समर्थन

संस्कृतियों के मेलजोल को बढ़ावा दे रहा है जिफ - गोक्सेल गुलेनसॉय [टर्की]

मेरी फिल्म मेरी मदर – इन – लॉ सदन हानिम को अल्जाइमर्स के दौरान हुए दुखद अनुभवों और धीरे धीरे याद्दाश्त खोते जाने के समय को दर्ज करती है। इस मुश्किल वक्त को डॉक्यूमेंट करना कठिन था, और फिल्म बनने के बाद स्पॉन्सर्स तलाशना और भी मुश्किल, और अब हमारी फिल्म जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल [जिफ] में ना सिर्फ दिखाई गई, बल्कि इसे कई पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया। सच कहूं, जिफ में मेरा अनुभव शानदार रहा है और उनका प्रबंधन काबिले तारीफ़ रहा है। फिल्म निर्देशकों और निर्माताओं के लिए इस तरह के फिल्म समारोह बहुत ज़रूरी हैं, चूंकि इससे कई देशों की संस्कृतियों का मेलजोल होता है।

गोक्सेल गुलेनसॉय [टर्की], निर्देशक सदन हानिम  [बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर अवॉर्ड से सम्मानित]

जिफ के ज़रिए जयपुर बन रहा है देश की फिल्म कैपिटल - नीरज ग्वाल

मैने फिल्म मेकिंग के लिए कोई फॉर्मल कोर्स नहीं किया, लेकिन बचपन के दिनों से सिनेमा की दुनिया को लेकर मेरा जुनून मुझे फिल्मों तक ले ही आया। पहले दिन से अब तक जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल [जिफ] से जुड़े रहना अद्भुत रहा है। जयपुर को भारत की कल्चरल कैपिटल माना जाता है, और अब यह देश की फिल्म कैपिटल बनने की ओर  बढ़ रहा है। एक फिल्म फेस्टिवल की सार्थकता इसमें होती है कि इसके ज़रिए ग्लोबल फिल्म कल्चर को बढ़ावा मिले, नए फिल्मकारों के ताज़ातरीन विचार और फिल्में लोगों तक पहुंचे, और जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल यह करने में सौ फीसदी कामयाब रहा है।

नीरज ग्वाल [भिलाई, छत्तीसगढ़], निर्देशक 4सम [कई अवॉर्ड्स से सम्मानित]

 जिफ एक स्टेटमेंट बन चुका है - दीप्ति घाटगे

फिल्म के ज़रिए औरतों के दर्द को बयां करना, और फिल्म बनाने की प्रक्रिया में मुख्य रूप से महिलाओं का साथ मिलना मेरी उपलब्धि रही। जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में अपनी फिल्म के प्रदर्शन को लेकर मैं बेतरह खुश हूं और कोविड से जुड़े खतरों के बीच जिन सावधानियों के साथ पूरा फेस्टिवल हुआ है, सराहनीय है। पिछले बरसों से जिस तरह जिफ आगे बढ़ता जा रहा है, हनु रोज़ हज़ारों – हज़ार बधाई के पात्र हैं। जिफ एक फिल्म उत्सव से कहीं आगे एक स्टेटमेंट बन चुका है। यहां विदेशों से तो फिल्में आती ही हैं, राजस्थान की फिल्मों को भी बढ़ावा दिया गया है।

दीप्ति घाटगे [पुणे], निर्देशक स्वमान से: विद डिग्निटी [शॉर्ट फिक्शन फिल्म]

हनु रोज : विश्व सिनेमा को जयपुर लाने की फितरत में मेरी जिंदगी एक फिल्म बन गई है। अगले पांच साल में जयपुर विश्व सिनेमा का एक हब बन चुका होगा। ये अब तक 14 सालों के फिल्मी वनवास की अथक मेहनत का निचोड़ होगा. प्लान की गई हर योजना को हम खरगोश कछुआ चाल की कहानी के सन्देश के तहत पूरा करेंगे. हम धीरे चलते हैं पर जीतेंगे. विश्व का सबसे बड़ा सिनेमा केंद्र और लाइब्रेरी जयपुर में बनेगा. सपने पुरे करेंगे. ये ही मेरी जिद्द है, जुनून है।